How mountain are formed .how mount Everest formed. पहाड़ कैसे बनते हैं और दुनिया का सबसे ऊँचा पहाड़ कैसे बना? 🌄
पहाड़ कैसे बनते हैं और दुनिया का सबसे ऊँचा पहाड़ कैसे बना? 🌄
पृथ्वी के चेहरे पर जिस तरह से समतल ज़मीन, नदियाँ, समुंदर और मरुस्थल फैले हुए हैं, उसी तरह पहाड़ भी उसकी एक अहम विशेषता हैं। पहाड़ों का निर्माण लाखों वर्षों की प्राकृतिक प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप हुआ है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि पहाड़ कैसे बनते हैं और दुनिया का सबसे ऊँचा पहाड़, माउंट एवरेस्ट, कैसे बना। 🏔️
पहाड़ों का निर्माण कैसे होता है? ⛰️
पृथ्वी की संरचना में चार प्रमुख परतें होती हैं - क्रस्ट (पृथ्वी की सतह), मेंटल, बाहरी कोर और आंतरिक कोर। पहाड़ों का निर्माण मुख्य रूप से पृथ्वी की क्रस्ट पर होने वाली भूकंपीय गतिविधियों और टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराने से होता है।
1. टेक्टोनिक प्लेट्स का टकराव 🌍( collision of tectonic plates)
पृथ्वी की सतह पर टेक्टोनिक प्लेट्स होती हैं जो हमेशा गतिमान रहती हैं। इन प्लेट्स की गति बहुत धीमी होती है, लेकिन समय के साथ ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती हैं या एक-दूसरे से दूर जाती हैं। जब दो प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती हैं, तो उनकी किनारों पर दबाव बनता है और इससे धरती की सतह ऊँची उठने लगती है, जिससे पहाड़ों का निर्माण होता है।
उदाहरण के लिए, हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण भारतीय और एशियाई प्लेट्स के टकराने से हुआ है। 🏞️
2. संघटन और दबाव (Compression and Pressure)
जब दो प्लेट्स आपस में टकराती हैं, तो उनके किनारों पर अत्यधिक दबाव बनता है। इस दबाव के कारण, धरती की सतह में संकुचन होता है और सामग्री एक-दूसरे के ऊपर चढ़ने लगती है। इसके परिणामस्वरूप पर्वत श्रृंखलाएं बनती हैं। यह प्रक्रिया लाखों वर्षों तक चलती रहती है और तब जाकर एक बड़ा पहाड़ बनता है।
3. वाष्पीकरण और मौसम परिवर्तन 🌧️ (evaporation and climate change)
वर्षों के दौरान, मौसम के कारण पहाड़ों के आकार में बदलाव आता है। वर्षा, हवा और बर्फ के कारण पहाड़ों के ऊपरी हिस्से में कटाव होता है और यह धीरे-धीरे भंग होने लगता है। यह कटाव और घिसाई पहाड़ों के आकार को और भी विशाल और मजबूत बनाती है।
दुनिया का सबसे ऊँचा पहाड़ - माउंट एवरेस्ट 🏔️
दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत माउंट एवरेस्ट है, जो हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यह नेपाल और तिब्बत के सीमा पर स्थित है और इसकी ऊँचाई 8,848.86 मीटर (29,031.7 फीट) है। माउंट एवरेस्ट का निर्माण भी टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराव के कारण हुआ है।
माउंट एवरेस्ट का इतिहास 📜
माउंट एवरेस्ट को पहले "सागरमाथा" (नेपाल में) और "छोमोलुंगमा" (तिब्बत में) कहा जाता था। यूरोपीय उपनिवेशवाद के दौरान, 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश सर्वेयर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर इसे "एवरेस्ट" कहा गया।
इस पर्वत की खोज पहली बार 1856 में की गई थी, जब ब्रिटिश सर्वेक्षण ने इस पर्वत की ऊँचाई को मापने के लिए सर्वेक्षण किया। इसके बाद, 1953 में, सिर एडमंड हिलेरी और तेनज़िंग नोर्गे ने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहली बार कदम रखा था, जो एक ऐतिहासिक घटना बन गई। 🧗♂️
माउंट एवरेस्ट का निर्माण
माउंट एवरेस्ट का निर्माण करीब 60 मिलियन साल पहले हुआ था जब भारतीय उपमहाद्वीप एशियाई महाद्वीप से टकराया। इस टकराव के कारण भारतीय प्लेट एशियाई प्लेट के नीचे दब गई, और इससे हिमालय पर्वत श्रृंखला और माउंट एवरेस्ट का निर्माण हुआ।
टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराव के कारण जमीन की ऊँचाई धीरे-धीरे बढ़ी और माउंट एवरेस्ट की चोटी आज की ऊँचाई तक पहुंची। यह प्रक्रिया अभी भी जारी है, और माउंट एवरेस्ट हर साल कुछ मिलीमीटर ऊँचा हो जाता है।
पर्वतारोहण और माउंट एवरेस्ट 🧗♀️
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करना बहुत ही कठिन और खतरनाक कार्य है। यहाँ की बर्फीली हवाएं, तेज़ धूप, पतला हवा और अत्यधिक ठंड इसे और भी चुनौतीपूर्ण बनाती हैं। हालांकि, हर साल दुनिया भर के पर्वतारोही इस कठिन चढ़ाई को करने के लिए एवरेस्ट पर आते हैं। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का सपना हर पर्वतारोही का होता है, लेकिन इसे हासिल करना आसान नहीं है।
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए अच्छे शारीरिक फिटनेस, उच्च-altitude के अनुभव और सही उपकरण की आवश्यकता होती है। वहाँ की हवा में ऑक्सीजन का स्तर कम होता है, इसलिए पर्वतारोहियों को ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग करना पड़ता है।
माउंट एवरेस्ट का पारिस्थितिकी तंत्र 🌱
माउंट एवरेस्ट सिर्फ एक ऊँचा पहाड़ नहीं है, बल्कि यहाँ का पारिस्थितिकी तंत्र भी बहुत विविध और अद्भुत है। एवरेस्ट के निचले हिस्से में जंगल, घास के मैदान और विभिन्न जीव-जंतु पाए जाते हैं, जबकि ऊपरी हिस्से में बर्फ, ग्लेशियर और जंगली वातावरण है।
यहाँ की उचाई पर बहुत कम पौधे और जीव-जंतु होते हैं। फिर भी, एवरेस्ट पर कुछ विशेष प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, जैसे कि स्नो लेपर्ड, याक और टाइगर।
माउंट एवरेस्ट का महत्व:
माउंट एवरेस्ट न केवल अपनी ऊँचाई के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह हिमालय की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। नेपाल और तिब्बत में माउंट एवरेस्ट को धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र माना जाता है। यहाँ के लोग इसे भगवान के निवास स्थान के रूप में पूजा करते हैं।
निष्कर्ष (conclusion) 📝
यह तो स्पष्ट है कि पहाड़ों का निर्माण एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है, जो लाखों वर्षों तक चलती रहती है। माउंट एवरेस्ट, जो कि दुनिया का सबसे ऊँचा पहाड़ है, टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराव के कारण बना और यह एक जीवित उदाहरण है कि कैसे पृथ्वी पर बदलती हुई गतिविधियाँ और प्रक्रियाएँ महान प्राकृतिक संरचनाओं का निर्माण करती हैं।
आज माउंट एवरेस्ट एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण और पर्वतारोहियों के लिए एक चुनौती है। यह हमें न केवल पृथ्वी के भूगोल के बारे में बताता है, बल्कि जीवन के
कठिन संघर्षों और प्राकृतिक शक्तियों का भी प्रतीक है। 🌏
मुझे आशा है कि आपको मेरा ब्लॉग पसंद आएगा कृपया फॉलो करें और जानकारी अपने दोस्तों के साथ साझा करें। और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया टिप्पणी करें 😊
Join Telegram: click_here
Post Comment
No comments